Anand Kulshresth
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Kabir ke Dohe
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Kabeer Beejak
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Sant Tulsidas Aur Unka Sahitya : संत तुलसीदास और उनका साहित्य
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Surdas aur Unka Sahitya : सूरदास और उनका साहित्य
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“खुलि खेलो संसार में, बांधि न सक्कै कोय।
घाट जगाती क्या करै, सिर पर पोट न होय।।”
― Kabir Bijak: Sampoorna Kabir Vaani
घाट जगाती क्या करै, सिर पर पोट न होय।।”
― Kabir Bijak: Sampoorna Kabir Vaani
“जीव के इस कर्म रूपी पेड़ में इच्छा और वासना का एक फूल खिला है और यही एक फूल सारे संसार में खिला हुआ है अर्थात् प्रत्येक जीव में इसी एक फूल का विस्तार है।”
― Kabir Bijak: Sampoorna Kabir Vaani
― Kabir Bijak: Sampoorna Kabir Vaani
“जो भक्तजन हैं, उनका ध्यान उस फूल पर नहीं जाता है, वे तो इस फूल को छोड़कर बाहर ईश्वर की खोज करते हैं, जिससे वे दुःखी रहते हैं और उसी फूल यानी ईश्वर की खोज में भटकते रहते हैं। भला जो ईश्वर अंदर बैठा है, वह बाहर मिलने वाला है।”
― Kabir Bijak: Sampoorna Kabir Vaani
― Kabir Bijak: Sampoorna Kabir Vaani
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