Anantrai G. Rawal
![]() |
Girnar ke Siddha Yogi
|
|
![]() |
Rahasyamaya Girnar
|
|
* Note: these are all the books on Goodreads for this author. To add more, click here.
“जन्म से ही मनुष्य पर ग्रहों की छाया पड़ चुकी होती है, यही उसका प्रारब्ध है, प्रकृति है। उसके अनुसार व्यक्ति लाभ का अनुभव करता है, सुख-दुःख भोगता है।”
― Girnar ke Siddha Yogi
― Girnar ke Siddha Yogi
“निराकार-साकार दोनों रूप देख सकते हैं। साकार में चिन्मय रूप के दर्शन होते हैं। इसके अतिरिक्त मनुष्य में वह प्रत्यक्ष अवतार में देखना, अर्थात् ईश्वर को देखना। ईश्वर ही युग-युग में मनुष्य रूप में अवतार लेते हैं। प्रत्येक दिखाई दे रही वस्तु अणु, परमाणु, पर्वत, नदी, पशु-पक्षी अर्थात् समग्र ब्रह्मांड में व्याप्त प्रकृति-चेतन-तत्त्व में ईश्वर को देखना, यह निराकार है। भक्त दोनों में ईश्वर का स्वरूप यथार्थ रूप से दर्शन करके साक्षात्कार कर सकता है, परंतु दोनों में श्रद्धा, भक्ति और ज्ञान होना चाहिए।”
― Girnar ke Siddha Yogi
― Girnar ke Siddha Yogi
“सर्वत्र सर्व में चेतन स्वरूप में मैं ही विचरण कर रहा हूँ, तो संयोग-वियोग कहाँ रहे?”
― Girnar ke Siddha Yogi
― Girnar ke Siddha Yogi
Is this you? Let us know. If not, help out and invite Anantrai to Goodreads.