दिल की सुराही से उमड़ रहे जज़्बात
सब्र किया बहुत अब बिगड़े हैं हालात
हर्फ़ लड़खड़ा रहे शब्द बिखर रहे हैं क्यूँ
लब हैं सहमे से इश्क की कैसी ये बिसात!
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© विकास प्रताप सिंह
'हितैषी'(16/04/2020)https://www.facebook.com/VPS.hitaishi/posts/2847874911928843
Published on April 16, 2020 10:59