"तुम?" देवराज चौहान के होंठों से निकला।"हाँ... मैं...।""लेकिन तुम यहाँ कैसे?" कहते हुए देवराज चौहान ने विक्रम शर्मा की लाश पर नजर मारी, "और यह...।""इसेछोड़ो।"नशे की तरंग में रूपसिंह कहउठा--- "मैं तुम्हारा कसूरवार था। क्योंकि तुमसे लाखों रुपया ले लिया और तुम्हारा काम बनता-बनता मैंने बिगाड़ दिया।इन करोड़ों रूपयों पर तुम्हारा हक है, मेरी वजह से येतुम्हारे हाथों से दूर हो गए थेऔर अब मेरी वजह से वापस आ गए।तुम्हारी अमानत जीप में पड़ी है, ले लो...।"कहने के साथ ही रुपसिंह नेआगे बढ़कर गन देवराजचौहान के हाथों में थमा दी।देवरा
ईस पूरी स्टोरी में रीमा कपूर और उसके पति की ज़रूरत क्या थी ? इन दोनों की वजह से ना कुछ बना ना कुछ बिगड़ा.... सिर्फ इनकी बे-सिरपैर की बकवास पढ़नी पड़ी. ये लोग सिर्फ पीछा करते रहे और अंत मे पकड़े गए... ऐसे बिनजरूरी किरदारों से परहेज़ नही किया जा सकता क्या ?
Excellent, marvelous Roopsingh jabardast,Sohan lal aur Shankar v jabardast,sab kuchh badhiya, anil Mohan great,ab Don ji, dacoity ke baad v kindle pe upload kijiye sir.