धोखे की बुनियाद पर तैयार की गई डकैती का अंजाम तो बुरा होना ही था। वो ही हुआ...।_______________________________________________________________वो वागलेरमाकांत जैसे मुंबई अंडरवर्ल्ड डॉन का एक सौ अस्सीकरोड़ रूपया था,परन्तुदेवराज चौहान को बताया गया कि वोपैसा विक्रम मदावत जैसे किसी नामालूम इंसान का है और देवराज चौहान उस पर हाथ डालने की तैयारी में लग गया।"अब क्या चाहता है तू?" सदाशिव गुर्रा उठा।"ये पैसा वागले रमाकांत का है।" देवराज चौहान बोला--- "मैं उसके लिए इस पैसे को ढूंढ रहा था।""अब ये हमारा है।""तुम दोनों का तो ये पैसा कभी भी नहीं था।" देवराज चौहान का स्वर सख्त हो गया, फिर रत्ना से कहा--- "बाबू भाई वागले रमाकांत के पास है। मैं नहीं जानता कि उसे मार दिया है या वो जिंदा है। ज
कहानी और करैक्टर अच्छे हैं जिसमे दुबई और मुंबई के डॉन के 180 करोड़ चोरी करने की प्लानिंग बनती हैं. लेकिन कहानी तो बहुत ज्यादा स्लो हैं और एक्शन, मार-धाड़ की भी कमी हैं. सीधी बात कहूँ तो रोमांच और थ्रील की कमी हैं.