Vandana Yadav
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Born
in Bikaner, Rajasthan, India
September 09
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June 2019
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https://www.goodreads.com/vandanayadav
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Vandana Yadav
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शुद्धि
—
published
2022
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कितने मोर्चे
by
2 editions
—
published
2018
—
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सब्जियों वाले गमले
—
published
2015
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सिक्किम: स्वर्ग एक और भी है!
—
published
2023
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सैनिक पत्नियों की डायरी
by
—
published
2024
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अब मंजिल मेरी है
2 editions
—
published
2020
—
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ये इश्क़ है
—
published
2022
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नतमस्तक
—
published
2011
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तुम कुछ कह दो
—
published
2007
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नीला आसमान
—
published
2022
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Vandana’s Recent Updates
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“मासूमियत और बेफिक्री के दौर का नाम है बचपन। यही समय जीवन का सबसे समृद्ध समय भी है जब बच्चों का छल-कपट और चिंताओं से कोई वास्ता नहीं होता।”
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“पापा का देर रात तक रेडियो पर 'हवामहल' सुनना मुझे याद है। रात के आर जे की बातों पर हम सबका हँसना, उन रातों की रौनक बढ़ा देता था। ऐसी ही एक रात को एमरजेंसी के बाद चुनाव परिणाम घोषित हुए थे। निर्णायक परिणाम आ चुका था। इंदिरा गाँधी चुनाव हार गई थी और इस घोषणा के साथ रेडियो ने गाना बजाया, 'सबेरे वाली गाड़ी से चले जाएंगे, कुछ ले के जाएंगे, कुछ दे के जाएंगे, सवेरे वाली गाड़ी...”
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“मेरी उच्च शिक्षित और आत्मनिर्भर माँ जानती थी कि महिलाएं किसी भी पद पर पहुंच जाएं, घर-बार उन्हें खुद ही सम्हालना होगा इसीलिए माँ की ट्रेनिंग हर समय निर्बाध चलती रहती थी। हाँ, पापा के साथ खड़े होने के लिए मैं एक मजबूत कंधा बनने की कोशिश करती रहती थी।”
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“आत्महत्या से पहले की आख़िरी आवाज़ ज़िंदगी की ओर लौटने की ख़्वाहिश कि संकेत होती है।”
― कितने मोर्चे
― कितने मोर्चे
“ज़िन्दा आदमी से असहमतियों पर खीजते हुए उम्र बितायी जा सकती है, मगर मृत देह से लिपटकर एक रात गुज़ारना भी मुश्किल होता है।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“हम दोनों का
जो नाता है
एक-दूसरे के साथ
ज्यों सुबह का शाम से
और
शाम का भोर से
बीच में आने वाली
अंधेरी रात
और
चिलचिलाती धूप को भुला
जुड़े रहते हैं हम
मन से
एक-दूसरे के साथ
बस यही इबादत है।”
― ये इश्क़ है
जो नाता है
एक-दूसरे के साथ
ज्यों सुबह का शाम से
और
शाम का भोर से
बीच में आने वाली
अंधेरी रात
और
चिलचिलाती धूप को भुला
जुड़े रहते हैं हम
मन से
एक-दूसरे के साथ
बस यही इबादत है।”
― ये इश्क़ है
“ज़िन्दा आदमी से असहमतियों पर खीजते हुए उम्र बितायी जा सकती है, मगर मृत देह से लिपटकर एक रात गुज़ारना भी मुश्किल होता है।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“परम्पराएँ, हमारी धारणाओं की नींव पर खड़ी ऐसी इमारत है जिसका शिक्षा और शास्त्रों से कोई सरोकार नहीं है।”
― शुद्धि
― शुद्धि
“हम दोनों का
जो नाता है
एक-दूसरे के साथ
ज्यों सुबह का शाम से
और
शाम का भोर से
बीच में आने वाली
अंधेरी रात
और
चिलचिलाती धूप को भुला
जुड़े रहते हैं हम
मन से
एक-दूसरे के साथ
बस यही इबादत है।”
― ये इश्क़ है
जो नाता है
एक-दूसरे के साथ
ज्यों सुबह का शाम से
और
शाम का भोर से
बीच में आने वाली
अंधेरी रात
और
चिलचिलाती धूप को भुला
जुड़े रहते हैं हम
मन से
एक-दूसरे के साथ
बस यही इबादत है।”
― ये इश्क़ है
“बहुत ख़ूबसूरत है
साथ तुम्हारा
कभी जाने की जल्दी छोड़कर
बैठा करो
घड़ी, दो – घड़ी
बेफिक्री में
साथ मेरे
सुनो
आज वक़्त को जाने दो
तुम ठहर जाओ।”
― ये इश्क़ है
साथ तुम्हारा
कभी जाने की जल्दी छोड़कर
बैठा करो
घड़ी, दो – घड़ी
बेफिक्री में
साथ मेरे
सुनो
आज वक़्त को जाने दो
तुम ठहर जाओ।”
― ये इश्क़ है
“तेज़ बहता दरिया है
जो
बहाव में अपने संग
ले जाने को आमादा है
या
एक सहरा
जहाँ
पानी की तलाश में
भटकना होगा
जो भी है
ये ईश्क़ है।”
― ये इश्क़ है
जो
बहाव में अपने संग
ले जाने को आमादा है
या
एक सहरा
जहाँ
पानी की तलाश में
भटकना होगा
जो भी है
ये ईश्क़ है।”
― ये इश्क़ है