Niraj Pal's Blog

August 30, 2016

शब्द

लिख दिता हूँ कुछ शब्द,
जो सज जाते हैँ तुम पर,
तुम परछायीं सी,
शामिल रहती हो मुझ मे,
और मैं रोशनी से नहाया हुआ
नापता हूँ तुमहारी लंबाई।
- नीरज
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Published on August 30, 2016 08:41 Tags: कव-त