शोषक भी मैं, शोषित भी मैं,
और दुःखहरनी का मुखौटा भी हूँ मैं |
किसानों का हल, मजदूरों की मशाल हूँ मैं,
वस्तुतः रईसों की जागीर, भ्रष्टचरिओं की मिसाल हूँ मैं |
आम आदमी का हाथ हूँ मैं,
लेकिन अमीरों के साथ हूँ मैं |
विदुरनीति के पीछे छिपे, शकुनी की जाल हूँ मैं,
पुत्रमोह में अंधे, धृतराष्ट्र की चाल हूँ मैं |
छद्मवेशी प्रजातंत्र का राजतान्त्रिक चेहरा हूँ मैं,
अन्तःपुर में बैठे युवराज-मंडली का मोहरा हूँ मैं |
नौकरशाहों की कलम, पत्रकारों का मुख ;
और दमन की ताकतों की स्वामिनी हूँ मैं |
सरस्वती की सौतन, अभ्याचरिओं का सुख;
और माँ लक्ष्मी की पथगामिनी हूँ मैं ||
मध्यमवर्गीय रामराज की कोरी कल्पना हूँ मैं,
छात्रों के बुलंद भारत की कठिन सपना हूँ मैं |
दुराग्रह-ग्रसित समाज में, कीर्ति हूँ में,
विस्मित न हो, भारतीए राजनीति हूँ मैं ||
आभार : Vivek Kumar Singh - Author "The Reverse Journey"