ओ नारी तुम अबला नहीं हो,
तुम ही तो शक्ति का रूप हो,
तुम ही तो देती जन्म पूरी कायनात को।
तुम ही तो विद्या का वरदान हो,
जो सिखाती पहला अक्षर हर ज्ञानी को।
ओ नारी तुम अबला नहीं हो,
तुम ही ज्वाला हो, वो आग,
जो गरमाती है सृष्टि को।
तुम ही तो वो मरहम हो,
जो सहलाती हर उलझन को।
ओ नारी तुम अबला नहीं हो,
तुमको अबला बुला बुला के
बेहका दिया है दुनिया ने
तुमको अबला बना दिया है
उन्होंने जिन को डर था तुमसे
तुम्हारे रूप, तुम्हारी प्रकृति से
ओ नारी तुम अबला नहीं हो।
- रुचि
Published on March 07, 2022 22:04