परमात्मा की प्राप्ति
परमात्मा की प्राप्ति आपकी शुद्ध इच्छा से ही होती है। यह आपकी इच्छा जितनी प्रबल होगी, परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग उतना ही आसान होगा। शुद्ध इच्छा, अच्छी इच्छा सदैव पवित्र चित्त से ही निर्मित होती है। इस कुंडलिनी शक्ति में मनुष्य द्वारा किए गए कर्मो का लेखा-जोखा रहता है। यह मनुष्य के कर्मो से प्रभावित होती है। कई बार कोई निर्माण किया जाता है, तो निर्माण के दोष निर्मित वस्तु में आ ही जाते है। ठीक इसी प्रकार से मनुष्य के जन्म के समय, मनुष्य के शरीर का निर्माण होते समय कुछ दोष अपने माँ और बाप के संस्कारों और विचारों के कारण आ ही जाते है। इस लिए ये शारीरिक दोष दूर हुए बिना आत्मा की प्रगति नहीं हो सकती है। इसलिए कई मनुष्यों का जीवन पूर्वार्ध में कठिनाइयों से भरा, असफलता से भरा होता है, लेकिन जीवन का उत्तरार्ध अच्छा होता है। कुंडलिनी जागृति के बाद प्रथम दोषपूर्ण कर्म नष्ट होते है। वे भोगने के बाद ही आध्यात्मिक यात्रा प्रारंभ होती है। यह कुंडलिनी शक्ति किसी अधिकारी सद्गुरु के सान्निध्य में, उनकी करुणा में ही जागृत हो सकती है। करुणा होना, न होना, मनुष्य की ग्रहण करने की क्षमता पर निर्भर करता है। क्योंकि किसी सद्गुरु की करुणा को प्रयत्न से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। करुणा तो करुणा है, करुणा बस स्वयं ही हो जाती है।
Himalaya ka Samarpan Yog Part-1
Shree Shivkrupanand Swami
Himalaya ka Samarpan Yog Part-1
Shree Shivkrupanand Swami
Published on April 23, 2023 10:30
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Tags:
meditation, spirituality
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