डार्क नाइट - पुस्तक अंश 4

Dark Night by Sandeep Nayyar
‘हा, हा...लिकमा बट्ट, लिक माइ बट्ट, लिक माइ बैकसाइड... बटाटा वरा, यू आर लकी टू हैव बीन स्पेयर्ड विद ओनली वन स्लैप’ हैरी की हँसी रुक नहीं रही थी।
‘इज़ दैट नॉट हर नेम?’ कबीर अभी भी अपना गाल सहला रहा था।
‘हर नेम इज़ हिकमा, नॉट लिकमा’ हैरी की हँसी अब भी नहीं रुकी थी।
‘वाय डिड यू डू दिस टू मी?’ कबीर को कूल पर बहुत गुस्सा आ रहा था।
‘कूल-डाउन बडी’ कूल के होंठों पर तैर रही बेशर्म मुस्कान कबीर को बहुत ही भद्दी लगी।
‘कूल-डाउन? क्यों?’ उस वक्त कबीर को इतना अपमान महसूस हो रहा था कि जैसे उसने सिर्फ़ एक लड़की से नहीं बल्कि पूरे आज़ाद कश्मीर से थप्पड़ खाया हो। हिंदुस्तान ने पाकिस्तान से थप्पड़ खाया हो।
‘सी बडी, इसी तरह प्यार की शुरुआत होती है। जब उसे पता चलेगा कि उसने तुझे तेरी ग़लती के बिना चाँटा मारा है तो उसे तुझसे सिम्पथी होगी। फिर वो तुझसे माफ़ी मांगेगी, फिर तू उसे ऐटिटूड दिखाना, फिर वो तुझे मनाएगी...’
प्यार? हिकमा जैसी खूबसूरत लड़की को कबीर से? कश्मीरी सेब को गुजराती फाफड़े से? कबीर अपनी फैंटसी की दुनिया में खो गया। कूल को तो उसने कब का माफ़ कर दिया। वह बस इस सोच में खो गया कि जब हिकमा उससे माफ़ी मांगेगी तो उसका जवाब क्या होगा। क्या वह उसे कोई ऐटिटूड दिखा पाएगा? कहीं हिकमा उसके ऐटिटूड से नाराज़ न हो जाए। एक मौका मिलेगा पास आने का, वो भी न चला जाए। कबीर ने सोच लिया कि वह उसे झट से माफ़ कर देगा। शी वाज़ सच ए स्वीट गर्ल! कबीर अपने गाल पर पड़ा थप्पड़ भूल गया था। उसका दर्द भी और उसका अपमान भी। कबीर यह सोचना भी भूल गया था कि हिकमा को यह कौन बताएगा कि ग़लती उसकी नहीं थी।
अगले कुछ दिन कबीर प्ले टाइम में हिकमा से नज़रें मिलाने से बचता रहा। मगर छुप-छुप कर कभी इस तो कभी उस आँख के कोने से उसे देख भी लेता। इस बात की बेसब्री से उम्मीद थी कि हिकमा को यह अहसास हो कि ग़लती उसकी नहीं थी, मगर वह अहसास किस तरह हो यह पता नहीं था। एक बार सोचा कि कूल की शिकायत की जाए, मगर उससे बात का निकल कर दूर तलक चले जाने का डर था। अच्छी बात यह थी कि हिकमा ने उसकी शिकायत किसी से नहीं की थी। इस बात पर कबीर को वह और भी अच्छी लगने लगी थी। अब बस किसी तरह उसकी ग़लतफ़हमी दूर कर नज़दीकियाँ बढ़ानी थीं।

‘कबीर, वॉन्ट टू वाच सम किंकी स्टफ़?’ समीर ने कबीर से धीमी आवाज़ में मगर थोड़ी बेसब्री से पूछा।
‘ये किंकी स्टफ़ क्या होता है?’ कबीर को कुछ समझ नहीं आया।
‘चल तुझे दिखाता हूँ, वो सेक्सी बिच लूसी है ना’ लूसी का नाम लेते हुए समीर की आँखें शरारत से मटकने लगीं।
‘वो जिसका मकान पीछे वाली सड़क पर है?’
‘हाँ उसका बॉयफ्रेंड है, चार्ली चरणदास।’
‘चार्ली चरणदास?’ ब्रिटेन आकर कबीर को एक से बढ़कर एक अजीबो-गरीब नाम सुनने मिल रहे थे। उसी देश में जहाँ विलियम शेक्सपियर ने लिखा था, व्हाट्स इन ए नेम? नाम में क्या रखा है? मगर कोई कबीर से पूछे कि नाम में क्या रखा है। वह आपका मनोरंजन करने से लेकर आपको थप्पड़ तक पड़वा सकता है।
‘चार्ली द फुटस्लेव’ समीर ने हँसते हुए कहा, ’उनका विडियो रिकॉर्ड किया है। शी इज़ स्पैकिंग हिम व्हाइल ही किसेस हर फुट।’
‘व्हाट द हेल इज़ दिस?’ पैर चूमना? थप्पड़ मारना? कबीर को कुछ समझ नहीं आया। मगर उसे विडियो देखने की उत्सुकता ज़रूर हुई।
‘शो मी!’ कबीर ने बेसब्री से कहा।
‘यहाँ नहीं, मेरे कमरे में चल।’

कबीर बेसब्री से समीर के पीछे उसके कमरे की ओर दौड़ा। अपने कमरे में पहुँच कर समीर ने स्टडी टेबल के ड्रॉर से अपना लैपटॉप निकाला।
‘लुक द फ़न स्टार्टस नाउ।’ लैपटॉप ऑन करके एक विडियो फाइल पर क्लिक करते हुए समीर की चौड़ी मुस्कान से उसकी बत्तीसी झलकने लगी।
विडियो चलना शुरू हुआ। लूसी बला की खूबसूरत थी। ब्लॉन्ड हेयर, ओवल चेहरा, नीली नशीली आँखें, लम्बा कद, स्लिम फिगर, गोरा रंग, सब कुछ बिल्कुल हॉलीवुड की हीरोइनों वाला। लूसी की उम्र लगभग सत्ताईस-अट्ठाईस साल थी मगर वह इक्कीस-बाईस से अधिक की नहीं लग रही थी। वह ब्राउन कलर के लेदर सोफ़े पर बैठी हुई थी, लाल रंग की जालीदार तंग ड्रेस पहने जिसमें उसके प्राइवेट पार्ट्स के अलावा सब कुछ नज़र आ रहा था। उसने बाएँ हाथ की उँगलियों के बीच एक सुलगती हुई सिगरेट पकड़ी हुई थी। उसके सामने नीचे फर्श पर घुटनों के बल पीठ के पीछे हाथ बांधे और गर्दन झुकाए एक नौजवान बैठा हुआ था, चार्ली चरणदास। उम्र लगभग पच्चीस, गोरा रंग, तगड़ा शरीर, कसी हुई मांसपेशियाँ, खूबसूरत चेहरा।
लूसी ने दायें हाथ से चार्ली के सिर के बाल पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाया,
‘चार्ली यू इडियट, लुक हियर!’ लूसी की आवाज़ बहुत मीठी थी। यकीन नहीं हो रहा था कि कोई किसी का इतनी मीठी आवाज़ में भी अपमान कर सकता है।
‘यस मैडम!’ ऐसा लगा मानों चार्ली ने बड़ी हिम्मत से सिर उठा कर लूसी से नज़रें मिलाई हों।
लूसी ने चार्ली के बायें गाल पर एक थप्पड़ मारा। समीर की बत्तीसी से हँसी छलक पड़ी। मगर कबीर को हिकमा का मारा हुआ थप्पड़ याद आ गया। हालांकि लूसी का थप्पड़ वैसा करारा नहीं था।
‘चार्ली बॉय, यू नो दैट यू डिन्ट इवन नो हाउ टू पुट योर पेंसिल डिक इनसाइड ए पुस्सी। आई हैड टू टीच यू इवन दैट।”
‘यस मैडम!’ चार्ली ने शर्म से आँखें झुकाईं।
‘सो नाउ यू थिंक यू कैन जर्क दैट टाइनी कॉक विदाउट माइ परमिशन?’ लूसी का लहज़ा कुछ सख्त हुआ।
‘आई एम सॉरी मैडम, इट वाज़ ए बिग मिस्टेक।’ चार्ली ने अपना सिर भी झुकाया।
‘आर यू अशेम्ड ऑफ़ व्हाट यू डिड?’ लूसी ने सिगरेट का एक लम्बा कश लिया।
‘यस!’ चार्ली का चेहरा शर्म से लाल हो रहा था। ठीक वैसे ही जैसा कि हिकमा से थप्पड़ खाने के बाद कबीर का चेहरा हुआ था।
‘यस व्हाट?’ लूसी की भौहें तनी।
‘यस मैडम!’
‘सो व्हाट शैल आई डू विद यू?’ लूसी ने आगे झुकते हुए सिगरेट का धुआँ चार्ली के मुँह पर छोड़ा और फिर पीछे सोफ़े पर पीठ टिका ली।
‘प्लीज़ फॉरगिव मी मैडम।’
‘ह्म्म्म...आर यू बेगिंग?’
‘यस मैडम, प्लीज़ फॉरगिव मी।’ चार्ली का सिर झुका हुआ था। हाथ पीछे बंधे हुए थे।
‘इज़ दिस द वे टू बेग? आई एम नॉट इम्प्रेस्ड एट आल’ लूसी ने सिगरेट का एक और कश लिया।
‘प्लीज़, प्लीज़ मैडम, प्लीज़ फॉरगिव मी। प्लीज़ गिव मी वन मोर चान्स। आई प्रॉमिस दिस विल नॉट हैपन अगेन।’ चार्ली लूसी के पैरों पर सिर रखकर गिड़गिड़ाया।
‘हूँ दिस इज़ बेटर।’ लूसी ने अपनी आँखों के सामने गिर आई बालों की एक लट पीछे की ओर झटकी और सिगरेट की राख चार्ली के सिर पर, ‘ओके गेट अप एंड मेक मी ए ग्लास ऑफ़ वाइन।’
चार्ली के होठों पर एक राहत की मुस्कान आई। वह उठ कर अपनी बाईं ओर दीवार में बने शोकेस की ओर बढ़ने लगा।
‘गेट ऑन योर नीज़ चार्ली, आई हैवंट आस्क्ड यू टू वॉक ऑन योर फीट यट, हैव आई?’ लूसी ने आँखें तरेरीं।
‘सॉरी मैडम!’ अपने घुटनों पर बैठते हुए घुटनों के बल चलके चार्ली शोकेस तक पहुंचा। बाँहें तान कर उसने काँच का स्लाइडर सरकाया और एक वाइट वाइन की बोतल और क्रिस्टल का वाइन ग्लास निकाला। वाइन ग्लास को बाएँ हाथ में पकड़ते हुए वाइन की बोतल को बाहिनी बाँह और सीने के बीच जकड़ के दाहिने हाथ से शोकेस को स्लाइडर सरका कर बंद किया और घुटनों के बल चलते हुए लूसी के सामने आया। लूसी ने सिगरेट का एक लम्बा कश लेते हुए चार्ली को आँखों के इशारे से वाइन का गिलास भरने कहा। सोफ़े के पास रखे साइड स्टूल पर वाइन ग्लास रख कर चार्ली ने वाइन की बोतल खोली और ग्लास में वाइन भरकर उसे बड़े आदर से लूसी को पेश किया।
‘हूँ! आई एम इम्प्रेस्ड।’ लूसी ने सोफ़े पर अपनी पीठ टिकाते हुए वाइन का सिप लिया।
‘चार्ली, कान्ट यू सी दैट माइ फीट आर डर्टी? डू आई नीड टू टेल यू व्हाट यू हैव टू डू?’ लूसी ने अपने नंगे पैरों की ओर इशारा करते हुए चार्ली को झिड़का।
‘सॉरी मैडम।’ चार्ली ने लूसी के पैरों पर झुकते हुए अपनी जीभ बाहर निकाली।
‘चार्ली बॉय! हैव यू आस्क्ड फॉर परमिशन?’ लूसी की आँखों से दंभ की एक किरण उठ कर उसकी भौंहों को तान गई।
‘सॉरी मैडम कैन आई?’
‘ओके गो अहेड।’
‘थैंक यू मैडम।’ चार्ली की जीभ लूसी के बाएँ पैर के तलवे पर कुछ ऐसे फिरने लगी मानों किसी चॉकलेट बार पर फिर रही हों।
‘गेट योर टंग बिटवीन द टोज़।’ लूसी ने हुक्म किया।
‘यस मैडम!’ चार्ली ने जीभ उसके पैर की उँगलियों के बीच डाली और उँगलियों को एक एक कर चूसना शुरू किया। चार्ली के चेहरे के भावों से ऐसा लग रह था मानों उसे किसी रसीली कैंडी को चूसने का आनंद आ रहा हो।
चार्ली की जीभ लूसी के पैरों पर फिरती रही और लूसी सोफ़े पर आराम से टिक कर वाइन के घूँट भरती रही।
कुछ देर बाद लूसी ने अपने दायें पैर की उँगलियाँ चार्ली की ठुड्डी में अड़ा कर चार्ली के चेहरे को उपर उठाया,
‘चार्ली यू हैव बीन ए गुड बॉय, आई थिंक यू डिज़र्व ए रिवार्ड नाउ। ’
‘थैंक यू मैडम। ’ चार्ली ने हसरत भरी निगाहों से पहले लूसी के खूबसूरत चेहरे को देखा और फिर क्रिस्टल के वाइन गिलास को। वाइन गिलास से टकराकर उसकी नज़रें उसकी आँखों में क्रिस्टल सी चमक भर गईं। ।
लूसी ने अपने वाइन ग्लास से थोड़ी वाइन अपनी दाहिनी टाँग पर उँडेली जो नीचे बहते हुए उसके पैर से होकर चार्ली के होठों तक पहुँची। चार्ली ने वाइन का घूँट भरा और उसके आँखों की हसरत चमक उठी। लूसी ने अपने गिलास की बची हुई वाइन भी अपनी टाँग पर उँडेली। चार्ली के होंठ वाइन की धार को पकड़ने लूसी की टाँगों पर ऊपर सरके।
लूसी ने शरारत से हँसते हुए अपनी टाँग खींची और आगे झुककर चार्ली के गले में बाँहें डाल कर उसके उसी गाल को प्यार से सहलाया जिस पर उसने थप्पड़ जड़ा था, और फिर उसी जगह एक हल्का सा थप्पड़ मारते हुए मुस्कुराकर कहा ‘चार्ली बॉय, कान्ट यू सी दैट माइ ग्लास इज़ एम्प्टी , मेक मी एनअदर ग्लास और वाइन।’

कबीर को पूरा सीन बड़ा भद्दा सा लगा। उन दिनों उसे न तो बीडीएसएम का कोई ज्ञान था और न ही ‘डामिनन्स एंड सबमिशन’ के प्ले में यौन-आनंद लेने वाले प्रेमी-युगलों की कोई जानकारी थी। न तो तब ऐसे युगलों पर लिखी ‘फिफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे’ जैसी कोई लोकप्रिय किताब थी और न ही इस बात का कोई अंदाज़ कि ऐसा भी कोई मर्द हो सकता है जो अपमान और पीड़ा में यौन-आनंद ले, या ऐसी कोई औरत जो अपने प्रेमी का अपमान कर और उसे पीड़ा देकर प्रसन्न हो। उस वक्त यदि कोई उस प्ले को बीडीएसएम कहता तो कबीर को उसका अर्थ बस यही समझ आता, ‘ब्लडी डिस्गस्टिंग सेक्सुअल मैनर्स’। मगर अचानक ही कबीर को अहसास हुआ कि वह सारा सीन उसे भद्दा लगकर भी एक किस्म का सेक्सुअल एक्साइट्मन्ट दे रहा था। वह लूसी की ख़ूबसूरती थी या फिर उसकी अदाएँ, या फिर उसका अपनी ख़ूबसूरती और अदाओं पर गुरूर, या उस गुरूर को पिघलाता यह छुपा हुआ अहसास कि उस प्ले की तरह ही उसकी ख़ूबसूरती और जवानी की उम्र भी बहुत लम्बी नहीं थी। मगर कुछ तो था जो कबीर के मन के किसी कोने में अटक कर उसे लूसी की ओर खींच रहा था। और जिस तरह कबीर के लिए यह अंदाज़ लगा पाना मुश्किल था कि उसके मन में अटकी कौन सी बात उसे लूसी की ओर खींच रही थी, उसके लिए यह जान पाना भी मुश्किल था कि वो उसे लूसी के किस ओर खींच रही थी। क्या वह ख़ुद को चार्ली की जगह देख सकता था, लूसी के पैरों में सिर झुकाए? क्या उसे अपमान या पीड़ा में कोई यौन आनंद मिल सकता है? क्या हिकमा से थप्पड़ खा कर उसे किसी किस्म का आनंद भी मिला था? आख़िर क्यों उसका मन उसे उसका अपमान करने वाली लड़की की ओर खींच रहा था? कबीर को हिकमा पर गुस्सा आने की जगह प्यार क्यों आ रहा था?
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Published on July 01, 2018 14:27 Tags: dark-night, redgrab-books, sandeep-nayyar
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