तेरे बिना जिना सिख ही लेंगे हम...Poem inspired by Second Spring

Second Spring by Sandhya Jane तेरे बिना जिना सिख ही लेंगे हम...
तो क्या हुआ की हर बात तुझे बताने को दिल करे,
तो क्या हुआ की हर पल तुझे ही मेरा दिल पुकारे,
हर चेहरों में तुही नज़र आये...और, हर इशारों में तुही बसर जाये...
तेरे बिना जिना सिख ही लेंगे हम...
तो क्या हुआ की अगर हर साँस में तेरी यादें बसी हैं,
तो क्या हुआ की हर ख़्वाब में तेरी ख़ुशबु में भिनी हैं,
पर वो तो ख़्वाब था...और, वो क्या ख़ाक ज़िंदा था...
तेरे बिना जिना सिख ही लेंगे हम...
तो क्या हुआ की हम जी लेंगे बिन मुस्कुराये,
तो क्या हुआ की हम रह लेंगे बिन जोश के,
लम्हों को युंही गवाते...और, वक़्त को युहीं काटेंगे,
रुह निकल जाये..सिर्फ़, एक जिस्म बन के ज़ी ही लेंगे हम...
हाँ, तेरे बिना जी ही लेंगे हम...

Written by Asmi Udassi
Second Spring
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Published on May 17, 2016 23:10 Tags: second-spring
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