थोङी सी आॅक्सीजन ने,सब कुछ बरबाद कर दिया
थोङी सी आॅक्सीजन
जो गले से उतरकर फेफङों में खो जाती है,
सब कुछ गला चुकी है।मिट्टी सोच लेती है
अनुमान लगा लेती है कि एक बोफोर्स में कितनी पुश्तें पाली जा सकती हैं।
मिट्टी गणना कर लेती है कि कोयले की दलाली से रंग रूप सँवारा जा सकता है।
मिट्टी चोरी करना सिखा देती है
क्योंकि ये मिट्टी साँसों में से आॅक्सीजन दुहना जानती है।पुतले दफ्तर जाते हैं, रोज
और ढूँढ लेते हैं ऊपरी कमाई का जरिया।
नदी में डूबते हुए बच्चों का वीडियो बना लेते हैं पुतले।
मॅडम तुसैद के पुतलों में और इनमें यही एक फर्क है,
ये साँस लेते हैं, आॅक्सीजन से लबालब साँस।गलती उस जज्बे की नहीं है जिसे इंसानियत कहते हैं।
गलती इस आॅक्सीजन की है, जो हमारी साँसों का हिस्सा है।
Published on August 15, 2017 00:23