हर साँस जमीं में दफन रहे, हर जिस्म हरारत होने दोउस नूर के बच्चे मरे नहीं, वे सोये हैं उन्हें सोने दोबैद, हकीमों की तलबी के, नाटक सारे बंद करो
दूध भरी माँ की छाती का, रोज निलंबन होने दोये नए नवाबी शौक हैं साहिब, रंडी पीछे छूट गईं
बच्चों की साँसों को सत्ता की टाँग के नीचे सोने दोइक पंसारी की कैद में हैं, सूरज, पंछी, बादल, हवा
उसके गल्ले की पाई-पाई, मेरी साँसें-साँसें होने दोवह लाल किले की दीवारों पर, खुले में सू-सू करता है
तुम काटो फसले आजादी, उसे नरमुत्ते कुछ बोने दो
Published on August 15, 2017 00:22